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Tuesday, June 25, 2024

चाइल्ड राइट्स एंड यू


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क्राई ने बालिकाओं की 12वीं तक की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया राष्ट्रव्यापी अभियान 

बालिकाओं की शिक्षा के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण बदलने और जागरूकता बढ़ाने के लिए सात सप्ताह का राष्ट्रव्यापी अभियान 'पूरी पढ़ाई देश की भलाई' सोमवार को मध्य प्रदेश मे भी लॉन्च किया गया 

भोपाल - 24 जून हर लड़की की 12वीं तक की शिक्षा सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता को संबोधित करते हुए, भारत में अग्रणी बाल अधिकार संगठन क्राई - चाइल्ड राइट्स एंड यू ने सोमवार को 'पूरी पढ़ाई देश की भलाई' अभियान शुरू किया। भारत भर में लाखों लड़कियां अभी भी स्कूल से बाहर हैं, और कई माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच नहीं पा रही हैं। इस गतिशील सात सप्ताह के राष्ट्रव्यापी पहल का उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा के प्रति जन जागरूकता और सामाजिक दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव लाना है। हितधारकों को शामिल करके और लक्षित हस्तक्षेप लागू करके, क्राई का लक्ष्य शिक्षा की बाधाओं को दूर करना और लड़कियों के लिए एक उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना है।

मध्य प्रदेश में यह अभियान राज्य के 12 जिलों के साथ-साथ भारत के 20 राज्यों में क्राई के हस्तक्षेप परियोजनाओं में सोमवार को शुरू किया गया। इस राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत क्राई और उसके साथी संगठन जन जागरूकता रैलियां, हस्ताक्षर अभियान और विभिन्न आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

क्राई की मुख्य कार्यकारी अधिकारी पूजा मारवाहा ने अभियान के अत्यंत महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा "बालिकाओं के लिए उच्च माध्यमिक शिक्षा सुनिश्चित करना न केवल उनके सशक्तिकरण के लिए अपरिहार्य है, बल्कि यह राष्ट्र के समग्र विकास का भी अनिवार्य अंग है। प्राथमिक शिक्षा से आगे बढ़कर, लड़कियों की शैक्षिक यात्रा को सुदृढ़ करने हेतु सुनियोजित लक्ष्यों और कार्य-योजनाओं के साथ लक्षित हस्तक्षेप अत्यावश्यक है। इस दिशा में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना होगा, जिनमें बालिका शिक्षा के लिए पर्याप्त सार्वजनिक संसाधन, वित्तीय प्रोत्साहन, उन्नत अधोसंरचना, सामुदायिक सहभागिता, एवं बाल विवाह निरोधक कानूनों का कठोर क्रियान्वयन प्रमुख हैं। परंतु, यह सब कुछ तभी साकार हो सकेगा जब बालिका शिक्षा के प्रति व्यापक जन-जागरूकता उत्पन्न हो और समाज में इसकी गहरी अनुगूँज हो।"

क्राई की क्षेत्रीय निदेशक सोहा मोइत्रा ने इस पहल की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, "2009 का नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 14 वर्ष की आयु तक के भारतीय बच्चों के लिए सार्वभौमिक शिक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था। इस अप्रैल में जब हम इस अधिनियम की 15वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, तो हम मानते हैं कि कई लड़कियों की अभी भी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने 18 वर्ष की आयु तक सार्वभौमिक, नि:शुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार करने का मार्ग प्रशस्त किया, जो 2030 तक समान शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी लक्ष्य-4) के अनुरूप है। हालांकि, नवीनतम यूडीआईएसई+ 2021-22 के आंकड़े बताते हैं कि भारत में केवल पांच में से तीन लड़कियां ही उच्च माध्यमिक स्तर तक पहुंचती हैं। इसका मतलब है कि वर्तमान में केवल 58.2% लड़कियां ही उच्च माध्यमिक शिक्षा में नामांकित हैं।"

क्राई द्वारा इसी  डेटाबेस का गहन विश्लेषण करने पर और भी चिंताजनक तथ्य प्रकाश में आए हैं। एडजसटेड नेट एनरोलमेंट रेट (एएनईआर) के आधार पर की गई गणना दर्शाती है कि संबंधित आयु वर्ग की प्रत्येक तीन बालिकाओं में से एक (35%) माध्यमिक स्तर पर विद्यालय से बाहर है। इसके अतिरिक्त, इसी आयु वर्ग की प्रत्येक आठ छात्राओं में से एक (12.25%) अपनी शिक्षा अधूरी छोड़ देती है, परिणामस्वरूप वे माध्यमिक शिक्षा पूर्ण करने में असफल रहती हैं।

मध्य प्रदेश में क्राई के जमीनी अनुभवों से पता चलता है कि सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां, सांस्कृतिक मान्यताएं, लिंग भेदभाव, बाल विवाह, अपर्याप्त स्कूल सुविधाएं, स्कूल दूर होना और सुरक्षा संबंधी चिंताएं लड़कियों की शैक्षिक यात्रा में बाधा डालती हैं, जो उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने में महत्वपूर्ण बाधाएं पैदा करती हैं। ये बाधाएं उच्च ड्रॉपआउट दर का कारण बनती हैं और लड़कियों को बाल श्रम, कम उम्र में विवाह, किशोरावस्था में गर्भधारण, दुर्व्यवहार, शोषण और यहां तक कि बाल तस्करी के प्रति अधिक असुरक्षित बनाती हैं।

इन बाधाओं के परिणामस्वरूप न केवल स्कूल ड्रॉपआउट  की दर को बढ़ाती है, अपितु ये छात्राओं को अन्य गंभीर खतरों के प्रति भी अतिसंवेदनशील बना देती हैं। इनमें बाल श्रम, अल्पवयस्क आयु मे विवाह, किशोरावस्था में गर्भधारण, दुर्व्यवहार, शोषण एवं बाल तस्करी जैसी ज्वलंत समस्याएँ सम्मिलित हैं।

इन मुद्दों से सीधे निपटने के लिए, क्राई ने 'पूरी पढ़ाई देश की भलाई' अभियान शुरू किया है, जो 24 जून से शुरू होकर 15 अगस्त, भारत के स्वतंत्रता दिवस तक चलेगा। यह अभियान शिक्षा में लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करने का प्रयास करता है।

क्राई और उसके साझेदार संगठन अपने परिचालन क्षेत्रों में प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के नामांकन और प्रतिधारण को बढ़ाने का प्रयास करेंगे। क्राई का लक्ष्य बच्चों और उनके परिवारों, शिक्षकों, समुदाय के सदस्यों, प्रभावशाली व्यक्तियों, राज्य अधिकारियों, विभिन्न शैक्षिक स्तरों के छात्रों, मीडिया हाउस, कॉरपोरेट्स और आम जनता के साथ जुड़कर व्यापक जागरूकता पैदा करना है।

इन मुद्दों से सीधे निपटने के लिए, क्राई ने 'पूरी पढ़ाई देश की भलाई' अभियान शुरू किया है, जो 24 जून से शुरू होकर 15 अगस्त, भारत के स्वतंत्रता दिवस तक चलेगा। यह अभियान शिक्षा में लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करने का प्रयास करता है।

क्राई और उसके साथी संगठन अपने परिचालन क्षेत्रों में प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के नामांकन और रिटेन्शन को बढ़ाने का प्रयास करेंगे। क्राई का लक्ष्य बच्चों और उनके परिवारों, शिक्षकों, समुदाय के सदस्यों, प्रभावशाली व्यक्तियों, राज्य अधिकारियों, विभिन्न शैक्षिक स्तरों के छात्रों, मीडिया हाउस, कॉरपोरेट्स और आम जनता के साथ जुड़कर व्यापक जागरूकता पैदा करना है।

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